बहुत समय पहले, एक हरा-भरा जंगल था। इस जंगल में विभिन्न जानवर रहते थे – शेर, लोमड़ी, कछुआ, खरगोश, बंदर और पक्षी। जंगल का नियम था कि सभी जानवर एक-दूसरे की मदद करें और किसी के साथ भी अनावश्यक लड़ाई न करें।
लेकिन जंगल में कुछ ऐसे जानवर भी थे जो अपनी चालाकी और लालच के कारण अक्सर दूसरों को परेशान करते थे। उनमें से सबसे चालाक और लालची था लोमड़ी लकी, जो हमेशा अपने फायदे के लिए दूसरों को फँसाने की योजना बनाती रहती।
एक दिन शेर राघव, जो जंगल का राजा था, अपने राजमहल में बैठे थे। उन्होंने सभी जानवरों को बुलाया और कहा:
"जंगल में शांति और सुरक्षा तभी बनी रहेगी जब हम एक-दूसरे की मदद करेंगे और झूठ या धोखा नहीं करेंगे।"
सभी जानवर खुशी-खुशी राजभवन से लौटे, लेकिन लोमड़ी लकी के मन में चालाकी फिर से उठी। उसने सोचा, "मैं शेर की बात मानकर क्या करूँ? अगर मैं थोड़ा छल-छद्म करूँ, तो बहुत कुछ पा सकता हूँ।"
वहीं जंगल के दूसरे छोर पर, खरगोश चिंटू, कछुआ मुनि, और तोता टिंकू अपने दिन बिता रहे थे। ये तीनों अच्छे मित्र थे और हमेशा जंगल के नियमों का पालन करते थे।
चिंटू ने मुनि से कहा,
"मुनि भैया, मैंने देखा है कि लकी कुछ गड़बड़ करने की योजना बना रही है। हमें कुछ करना चाहिए।"
मुनि ने धीरे से कहा,
"सच्चाई और धैर्य के साथ, हम लकी को उसके गलत रास्ते पर रोक सकते हैं। हमें अपनी समझ और दोस्ती का सहारा लेना होगा।"
टिंकू ने ऊँची आवाज में कहा,
"तो चलो! हम जंगल के सभी जानवरों को एक साथ बुलाएंगे और एक योजना बनाएंगे, ताकि कोई भी नष्टकारी चालाकी नहीं कर पाए।"
इस प्रकार, तीनों मित्र जंगल में भ्रम फैलाने वाले लोमड़ी लकी की चालाकी को रोकने के लिए योजना बनाने लगे।
लोमड़ी लकी ने सुना कि शेर राघव अगले दिन जंगल का दौरा करेंगे। उसने सोचा,
"अगर मैं शेर को डराऊँ या भ्रमित कर दूँ, तो मैं जंगल की संपत्ति अपने नाम कर सकती हूँ।"
अगले दिन, लकी ने जंगल के बीचों-बीच झूठी अफवाह फैलानी शुरू कर दी:
"सावधान! शेर राघव जंगल पर हमला करने वाले हैं। सबको अपने-अपने घर में छिपना चाहिए।"
कुछ जानवर डर गए, लेकिन चिंटू, मुनि और टिंकू ने तुरंत समझा कि यह झूठ है। उन्होंने निर्णय लिया कि सही समय पर सच्चाई सबके सामने लानी होगी।
तीनों मित्रों ने जंगल के सभी जानवरों को बुलाया और समझाया:
"दोस्तों, डरना नहीं चाहिए। यह सिर्फ लोमड़ी लकी की चाल है। अगर हम एकजुट रहें और उसकी बातों में न आएं, तो जंगल फिर से सुरक्षित रहेगा।"
जानवरों ने मिलकर निर्णय लिया कि वह लकी को अकेला छोड़ देंगे और उसकी चालाकी का सामना करेंगे।
अगले दिन, जब शेर राघव जंगल में आए, तो लकी ने फिर से अफवाह फैलानी शुरू की। लेकिन सभी जानवरों ने धैर्य और समझदारी से उसका विरोध किया।
शेर राघव ने पूछा,
"लकी, यह अफवाह क्यों फैला रही हो?"
लोमड़ी लकी हिचकिचाई और झूठ बोलते-बोलते रंग गई। उसने महसूस किया कि जंगल के सभी जानवर मिलकर उसकी चालाकी का सामना कर सकते हैं।
शेर राघव ने कहा,
"लकी, जंगल में शांति और मित्रता सबसे बड़ी ताकत है। अगर तुम सच का मार्ग अपनाओगी, तो हम सब तुम्हारी मदद करेंगे।"
लोमड़ी लकी ने शर्म से सिर झुका लिया। उसने सोचा कि उसने कितनी गलतियां की हैं और अब वह भी सच्चाई का मार्ग अपनाएगी।
तभी, मुनि ने कहा,
"दोस्तों, यह याद रखना कि सच्चाई और मित्रता हमेशा जीतती है। चाहे कोई कितना भी चालाक क्यों न हो, झूठ और लालच का रास्ता अंत में खाली हाथ छोड़ देता है।"
सभी जानवरों ने एक-दूसरे को गले लगाया और जंगल फिर से हंसमुख और सुरक्षित बन गया।
कहानी का संदेश
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है:
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सच्चाई और ईमानदारी हमेशा मजबूत होती है।
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मित्रता और सहयोग से कोई भी मुश्किल हल की जा सकती है।
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लालच और झूठ अंततः किसी का भला नहीं करता।
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धैर्य और समझदारी से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
जंगल के सभी जानवर अब जानते थे कि सच्चाई, मित्रता और धैर्य किसी भी जंगल या समाज की असली ताकत हैं।

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