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बेटी: एक कविता और समाज को जागरूक करने का संदेश by डॉ. सुर्यशंकर कुमार

"बेटी" एक मार्मिक कविता है जो समाज में बेटियों के महत्व, उनके संघर्षों, और उनके योगदान को उजागर करती है। इसे डॉ. सुर्यशंकर कुमार द्वारा लिखा गया है, जो एक प्रतिष्ठित फिजियोथेरेपिस्ट और समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हैं। यह कविता न केवल बेटियों की वास्तविकता को दिखाती है, बल्कि समाज के उन पहलुओं पर भी सवाल उठाती है जो बेटियों के साथ भेदभाव करते हैं।

कविता: "बेटी"

"बेटी हूँ. कोई पाप नहीं, घरवालों का अभिश्राप नहीं। दुर्गा, काली, सरस्वती, लक्ष्मी, वीरता की पहचान झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई वाई भी बिटिया ही तो थी।

जिन्होंने सबको जन्म दी, वो भी किसी की बिटिया ही तो थी. नौ-माह जिसने गर्भ में हम सबों को पाली, वो भी किसी की बेटिया ही तो थी।

कलाई पे जिसने राखी बांधी वो बहना भी तो बेटिया थी। जिसके मांगो में सिंदूर लगाया, सात फेरे लिए वो भी बिटिया ही तो थी,

फिर ना जाने क्यों बेटियों को जन्म से पहले गर्भ में ही मार देते। दो. चार और न जाने किस उम्र के बेटियों का बलात्कार करते, ये भूल जाते की जिसने हमारी कलाई पे राखी बांधी वो हमारी बहन हैं, तो जिसके साथ दुर्व्यवहार कर रहा वो भी किसी की बहना होगी।

बेटे के साथ बेटियाँ भी हमेशा से समाज, घर-परिवार और राष्ट्र के लिए भी अपनी बलिदान दी है।

किसी से कम नहीं है बेटियाँ,

हर क्षेत्र में है बेटियाँ।

यहाँ प्रधानमंत्री भी रही है बेटियां, राष्ट्रपति भी है बेटियां,

अंतरिक्ष भी गयी है बेटियां,

होस्पिटल में डॉक्टर नर्स, प्रशासनिक, खेल के क्षेत्र, और न जाने किन- किन क्षेत्र मद में अलग-अलग पोस्ट पे बिराजमान है बेटियां,

अगर बेटे भाग्य, उस घर की सौभाग्य है बेटियां।

न जाने कितनी पीड़ा झेल कर भी आज हर जगत में बिराजमान है बेटियां।"

यह कविता बेटियों की महानता को दर्शाते हुए उनके प्रति हो रहे अन्याय की कड़ी निंदा करती है। यह याद दिलाती है कि बेटियां दुर्गा, लक्ष्मी, और सरस्वती के रूप में हमारी प्रेरणा हैं। समाज के लिए उनका योगदान पुरुषों से कम नहीं, चाहे वह घर-परिवार हो, राष्ट्र हो, या कोई भी क्षेत्र।

समाज के लिए संदेश

कविता इस बात पर जोर देती है कि बेटियां हर क्षेत्र में अपनी जगह बना रही हैं—खेल, चिकित्सा, प्रशासन, और अंतरिक्ष तक। फिर भी, उनके साथ भेदभाव और अत्याचार क्यों? यह कविता एक स्पष्ट संदेश देती है कि बेटियां न केवल समाज की सौभाग्य हैं, बल्कि वे हर परिस्थिति में अपना अद्वितीय योगदान देती हैं।

लेखक के बारे में: डॉ. सुर्यशंकर कुमार

डॉ. सुर्यशंकर कुमार, जिन्हें प्यार से "सूर्य" कहा जाता है, पटना, भारत के एक जाने-माने फिजियोथेरेपिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके जीवन का उद्देश्य चिकित्सा और समाज सेवा के माध्यम से दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाना है। वे लेखन के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने और बदलाव लाने की गहरी इच्छा रखते हैं। उनकी कविता "बेटी" इस बात का प्रमाण है कि वे समाज में सुधार और समानता के लिए कितने समर्पित हैं।


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