जब भी दुनिया में अन्याय, भ्रष्टाचार और पापों का बोलबाला बढ़ता है, लोग कहते हैं – “अब तो कलियुग अपने चरम पर है!” लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कलियुग का अंत कैसे होगा?
क्या आपने कभी कल्पना की है कि कलियुग की आखिरी रात कैसी होगी?
विष्णु पुराण — जो हिन्दू धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक है — में इस विषय पर विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें न सिर्फ कलियुग के लक्षण बताए गए हैं, बल्कि इसकी अंतिम रात्रि की भयावहता भी दर्ज की गई है।
आइए, इस लेख में हम आपको बताते हैं कि:
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कलियुग का अंत कैसा होगा,
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विष्णु पुराण की 4 प्रमुख भविष्यवाणियाँ क्या कहती हैं,
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और कैसे ये रात मानव सभ्यता के लिए सबसे अंधेरी और भयावह साबित होगी।
1. अंधकार से भरी रात — जब दीपक भी उजाला नहीं देगा
विष्णु पुराण के अनुसार, जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा, तो अंधकार धीरे-धीरे गहराता जाएगा। हर रात, पिछली रात से अधिक काली होगी।
लोग इतने पथभ्रष्ट हो जाएंगे कि जो बात उनके सामने होगी, उसे भी झूठ बोलकर नकारेंगे।
सत्य का कोई मूल्य नहीं रह जाएगा।
दया, करुणा, सहानुभूति — ये सब केवल किताबों में सीमित रह जाएंगी।
❖ आखिरी रात तो इतनी अंधेरी होगी कि लाखों दीपक भी प्रकाश नहीं कर पाएंगे।
लोग अपनी आंखों से अंधकार को छूते महसूस करेंगे।
यह अंधकार केवल बाहरी नहीं होगा — यह आंतरिक अंधकार होगा, जहां आत्मा की रोशनी बुझ चुकी होगी।
2. प्रकृति का रौद्र रूप — जब धरती पानी-पानी हो जाएगी
कलियुग की अंतिम रात केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति के लिए भी भयावह और बेकाबू होगी।
विष्णु पुराण कहता है कि उस रात:
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बिजलियाँ चमकेंगी, लेकिन उजाला नहीं करेंगी।
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तेज तूफान और आंधियाँ चलेंगी जो पेड़ों, मकानों, और पहाड़ों तक को उखाड़ फेंकेंगी।
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मूसलधार बारिश होगी, जो बिना रुके कई दिनों तक चलेगी।
❖ पृथ्वी के हर कोने पर पानी ही पानी होगा।
❖ समंदर, नदियाँ, झीलें – सब अपनी सीमाएं तोड़ देंगी।
❖ इंसान छिपने की कोशिश करेगा लेकिन हर दिशा में विनाश ही विनाश होगा।
यह वह समय होगा जब धरती का संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका होगा, और प्रकृति खुद न्याय करने उतर आएगी।
3. शरीर और मन की कमजोरी — मानवता का अंतिम पतन
वह रात केवल अंधकार और आपदा की नहीं होगी, बल्कि मानवता की आत्मा के टूटने की भी होगी।
विष्णु पुराण बताता है कि:
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उस समय मनुष्य शारीरिक रूप से इतने कमजोर हो जाएंगे कि वे अपने शरीर का भार भी नहीं उठा पाएंगे।
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मानसिक रूप से वे इतने अस्थिर और संवेदनशील होंगे कि कोई कठोर शब्द उन्हें अंदर तक तोड़ देगा।
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उनकी सोचने-समझने की शक्ति लगभग खत्म हो चुकी होगी।
❖ लोग बीमार होंगे, कमजोर होंगे, और संवेदनहीन हो जाएंगे।
❖ कोई किसी की मदद नहीं करेगा, क्योंकि स्वयं को बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी।
इसका एक कारण होगा — अत्यधिक प्राकृतिक आपदाएँ और भोजन-पानी की कमी।
4. भूख और प्यास से तड़पती दुनिया — जब अनाज भी जहर बन जाएगा
मानव शरीर को जीवित रखने के लिए सबसे जरूरी है – भोजन और जल।
लेकिन विष्णु पुराण की भविष्यवाणी कहती है कि कलियुग की अंतिम रात में यह सबसे बड़ी समस्या होगी।
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भारी वर्षा और भूकंपों की वजह से खेत नष्ट हो जाएंगे।
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भंडारण में रखा अनाज सड़ जाएगा या बह जाएगा।
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जो कुछ बचा रहेगा, वह मानव उपभोग के योग्य नहीं होगा।
❖ भूख से लोग तड़पेंगे।
❖ पानी की एक बूंद के लिए परिवार, दोस्त, यहां तक कि भाई-भाई एक-दूसरे की जान ले लेंगे।
❖ बुद्धि कुंठित हो जाएगी। सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाएगी और लोग जानवरों की तरह व्यवहार करने लगेंगे।
हृदय में सिर्फ डर, गुस्सा, लालच और हिंसा बचेगी।
निष्कर्ष: क्या यह अंत है या एक नई शुरुआत?
अब प्रश्न उठता है: क्या यही अंत है?
नहीं!
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, हर युग का अंत, एक नए युग की शुरुआत का संकेत होता है।
जब कलियुग का विनाश अपने चरम पर पहुंच जाएगा, तभी विष्णु भगवान का दसवां अवतार – कल्कि अवतार प्रकट होगा।
कल्कि भगवान एक सफेद घोड़े पर सवार होकर, पापियों का संहार करेंगे और संसार को फिर से धर्म की ओर ले जाएंगे।
यह अंतिम रात, एक जागरण की रात होगी – जब बुराई का अंत और अच्छाई का आरंभ होगा।
पाठकों के लिए विचारणीय प्रश्न:
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क्या हम इस विनाशकारी अंत की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं?
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क्या आज का समाज कलियुग के चरम संकेतों को दर्शा रहा है?
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क्या अब समय आ गया है कि हम आत्मचिंतन करें और धर्म-पथ पर लौटें?
समापन
विष्णु पुराण की इन भविष्यवाणियों को पढ़कर भले ही दिल दहल जाए, लेकिन इसका उद्देश्य डराना नहीं, चेताना है।
यह संकेत है कि अगर आज भी हम सत्कर्म, सत्य, और धर्म के रास्ते पर चलें, तो शायद हम उस भयावह अंतिम रात को टाल सकें।
🙏 धर्म की राह पर लौटना ही कलियुग से मुक्ति का एकमात्र रास्ता है।
🌼 आइए, आज ही से अपने जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाएं।
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